If you desire to be free from the cycle of birth and death, 
then abandon the objects of sense gratification as poison. Drink instead
the nectar of forbearance, upright conduct, mercy, cleanliness and truth.


यदि तुम जन्म मरण के चक्र से मुक्त होना चाहते हो तो जिन विषयो के पीछे तुम
इन्द्रियों की संतुष्टि के लिए भागते फिरते हो उन्हें ऐसे त्याग दो जैसे तुम विष को त्याग 
देते हो. इन सब को छोड़कर , ईमानदारी का आचरण, दया, शुचिता और सत्य 
इसका अमृत पियो.


chanakya niti


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